उत्कृष्ट वैज्ञानिक, श्री वी.बालमुरुगन, 1 मई 2018 से, संग्राम वाहन अनुसंधान तथा विकास संस्थापन (सीवीआरडीई) चेन्नई के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
श्री वी.बालमुरुगन ने 1984 में, इंजीनियरिंग कॉलेज, गिंडी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी स्नातक, 1987 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास से औद्योगिक धातु विज्ञान में स्नातकोत्तर तथा 1999 में भारतीदासन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, त्रिची से प्रौद्योगिकी प्रबंधन विषय से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। 1987 में वैज्ञानिक 'बी' के रूप में डीवीआरडीओ से डीआरडीओ में शामिल होने से पूर्व स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में उनका एक संक्षिप्त कार्यकाल था।
श्री वी.बालमुरुगन, अर्जुन मेन बैटल टैंक (एमबीटी) के विकास कार्यक्रम में, तीन दशकों से अधिक का अनुभव रखते है, जहां पर उत्पादन अभिकरणों की उत्पादकता तथा विकास की स्थापना पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही उन्होंने अर्जुन की पूर्व-उत्पादन श्रृंखला (पीपीएस) में सक्रिय भूमिका निभाई। इस चरण के दौरान उत्पादन प्रलेखों के विकास में उन्होंने प्रमुख अनुसंधान संस्थानों, जैसे वेल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) और केंद्रीय विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएमटीआई) के साथ मिलकर सफलतापूर्वक कार्य किया।
अर्जुन परियोजना के लीडर के रूप में, उन्होंने विभिन्न हितधारकों जैसे कि हैवी व्हीकल फैक्ट्री (एचवीएफ), डीजीक्यूए, ईएमई तथा उपयोगकर्ताओं को अर्जुन की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की दिशा में काफी बड़ा योगदान दिया। उन्होंने इसके ढांचे एवं बुर्ज की संरचनाओं, चेसिस की स्वचालित प्रणाली की फिटिंग, बुर्ज एवं हथियार प्रणाली की फिटिंग, एक टैंक के रूप में एकीकरण एवं युद्ध से पूर्व इसके क्षेत्र का मूल्यांकन करने में तकनीकी विशेषज्ञता तथा मार्गदर्शन प्रदान किया। जिसके परिणामस्वरूप अर्जुन एमके 1 की दो रेजिमेंटों का उत्पादन और परिचालन मुक्त-प्रवाह रूप से हुआ। इस अवधि के दौरान, उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण गतिविधियों जैसे कि माध्यमिक फोर्डिंग के प्रदर्शन तथा दो चयनित निर्मित टैंकों के त्वरित उपयोग सह विश्वसनीयता परीक्षण (एयूसीआरटी) एवं इसके तुलनात्मक परीक्षण को सफलतापूर्वक समन्वित तथा संपूर्ण किया। उनके नेतृत्व में, बाह्य भारत के विशेषज्ञ टैंक निर्माता द्वारा अर्जुन के तृतीय पक्षीय परीक्षण को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया, जिसमें डिजाइन और परीक्षण दोनों के लिए डीआरडीओ की प्रयोगशालाएं, एचवीएफ, डीजीक्यूए और उपयोगकर्ता शामिल थे। इन्होंने अर्जुन एमबीटी एमके I के एएचएसपी को डीजीक्यूए को हस्तांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अर्जुन एमबीटी एमके II के परियोजना निदेशक के रूप में, अर्जुन कोर कमेटी के माध्यम से अपग्रेड्स को अंतिम रूप देने तथा शीघ्रता से निर्णय लेने की सुनिश्चितता हेतु उन्होंने उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अर्जुन एमबीटी एमके II के डीआरडीओ तथा उपयोगकर्ता परीक्षणों हेतु उन्होंने व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया, जिसके परिणामस्वरूप अर्जुन एमबीटी एमके II की दो रेजिमेंटों के लिए भारतीय सेना ने रक्षा खरीद परिषद् (डीएसी) से आवश्यकता स्वीकृति (एओएन) को प्राप्त किया।
अपर निदेशक (टीओटी) के रूप में, उन्होंने सीसीपीटी एवं अन्य उत्पादों के टीओटी के समन्वयन तथा संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने परीक्षण संबंधी निर्देशों तथा टी72, आईएवीएस प्रणालियों हेतु बीएमपी II, 1000 एचपी इंजन के लिए विभिन्न उत्पादों जैसे कि अर्जुन एमबीटी एमके I तथा एमके II, 400 एचपी पावर पैक पर इसके सफल संचालन का नेतृत्व भी किया।
ये वार्षिक प्रयोगशाला वैज्ञानिक पुरस्कार, प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी समूह पुरस्कार तथा डीआरडीओ के प्रदर्शन उत्कृष्टता पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं।
इन्हें, इनकी कर्तव्य-निष्ठा / उत्कृष्ट सेवा के सम्मान में कमांडर का प्रशंसा पत्र भी प्राप्त हो चुका हैं। ये सोसाइटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स (भारत) तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेल्डिंग के सदस्य हैं। इन्होंने दस से अधिक छात्र परियोजनाओं को मार्गदर्शन प्रदान किया है।