डॉ. मधुबाला , वैज्ञानिक 'जी' और निदेशक, डीआईबीईआर को माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सोसायटी फॉर प्लांट प्रोटेक्शन साइंसेज द्वारा स्थापित वर्ष 2018 के लिए प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पुरस्कारसे सम्मानित किया गया था। पदमभूषण डॉ. आर एस परोदा, अध्यक्ष टीएएएस और पूर्व महानिदेशक, आईसीएआर और सचिव, डीएआरई, भारत सरकार ने 20 दिसंबर 2018 को "बागवानी लैंडस्केप के जलवायु परिवर्तन और सतत कृषि के लिए दत्तक फसल संरक्षण" के पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में पुरस्कार से सम्मानित किया।
डॉ. मधुबाला , वैज्ञानिक 'जी', निदेशक, डीआईबीईआर को “बायोवेद रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद में “"बायोवेद मानद फेलोशिप पुरस्कार – 2018” ” से सम्मानित किया गया।
डॉ.संजय के दिवेदी, वैज्ञानिक 'एफ' को भारत के सीबकथॉर्न एसोसिएशन द्वारा राष्ट्रीय वरिष्ठ वर्ष के वैज्ञानिक पुरस्कार-2017 से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार 22 सितंबर, 2017 को डीआईएचएआर-डीआरडीओ लेह के राष्ट्रीय सेमिनार में दिया गया।
डॉ. मोहम्मद नसीम, निदेशक को कृषि एवं प्रौद्योगिकी, इलाहाबाद बायोवेद रिसर्च संस्थान में रसायन विज्ञान में उत्कृष्ट योगदान के लिए “"बायोवेद मानद फेलोशिप पुरस्कार 2015"” से सम्मानित किया गया था।
डॉ. एचके पांडे , वैज्ञानिक 'डी' को हर्बल रसायन के क्षेत्र, विशेष रूप से एंटी-ल्यूकोडर्मा हर्बल उत्पाद (ल्यूकोस्किन) के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए, बायोवेद रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ़ एग्रीक्लचर एवं टेक्नोलोजी, इलाहाबाद के द्वारा 21 फरवरी 2015 को बायोवेद रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ़ एग्रीक्लचर एवं टेक्नोलोजी, श्रंगवेरपुर, इलाहाबाद में आयोजित 17वें कृषि वैज्ञानिक और किसान सम्मेलन में “बायोवेद एग्री–इनोवेशन पुरस्कार 2015" से सम्मानित किया गया है।
डॉ. एचके पांडे , वैज्ञानिक 'डी' को हर्बल रसायन के क्षेत्र, विशेष रूप से एंटी-ल्यूकोडर्मा हर्बल उत्पाद (ल्यूकोस्किन) के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए, बायोवेद रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ़ एग्रीक्लचर एवं टेक्नोलोजी, इलाहाबाद के द्वारा 23 फरवरी 2014 को इंट्रीग्रल यूनिवर्सिटी लखनऊ में आयोजित 16वें कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन में “बायोवेद फेलोशिप पुरस्कार 2014" से सम्मानित किया गया है।
डॉ. रंजीत सिंह वैज्ञानिक 'सी' को 2012 में प्रकाशित पेपर के लिए सर्वोत्तम पत्र पुरस्कार के लिए प्रतिष्ठित "ब्रैंडिस प्राइज" से नवंबर 2014 में द इंडियन फॉरेस्टर के द्वारा सम्मानित किया गया था।
डॉ. अंकुर अग्रवाल , वैज्ञानिक 'सी' को 2010 में डॉ. आर एस परोदा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
डॉ. ज़कवान अहमद, निदेशक को 2007 में बायोवेद वर्ष के वैज्ञानिक पुरस्कारर से सम्मानित किया गया था।
डॉ. ज़कवान अहमद, निदेशक को 2007 में रॉयल सोसाइटी ऑफ़ क्रॉप साइंस की मानद फेलोशिप (एफआरएससीएस) से सम्मानित किया गया था।
श्री. एससी दास, निदेशक को 2005 में प्लास्टी इंडिया मुंबई द्वारा प्लास्टीकॉन पुरस्कार 2005 से सम्मानित किया गया था।
डॉ. मोहम्मद आरिफ, वैज्ञानिक 'डी' को 2005 में बायोवेद रिसर्च सोसाइटी के द्वारा डॉ. जे.सी. एडवर्ड मेडल से सम्मानित किया गया था।
श्री. एस सी दास, निदेशक को 2003 में बायोवेद रिसर्च सोसायटी फेलोशिप से सम्मानित किया गया था।
डॉ. नरेंद्र कुमार, निदेशक को 2002 में आरएन त्रिवेदी मेडल से सम्मानित किया गया था।
श्री. एससी दास, निदेशक को 2002 में अप्लाइड जूलोजिकल रिसर्च में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए एप्लाइड जूलोजिस्ट रिसर्च एसोसिएशन के फेलोशिप पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
डॉ. नरेंद्र कुमार, निदेशक को 1998 में बायोवेद रिसर्च सोसाइटी इलाहाबाद के द्वारा वर्ष के वैज्ञानिक पुरस्कार दिया गया था।
डॉ. एच के पांडे, वैज्ञानिक 'ई' को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस-2019 में "ल्यूकोडर्मा के उपचार के लिए एक बेहतर हर्बल तैयार करना: एंटी ल्यूकोडर्मा हर्बल उत्पाद मार्क- II" के संदर्भ में डीआरडीओ भवन, नई दिल्ली में व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिए चुना गया था। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का पुरस्कार परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव और अध्यक्ष एईसी के द्वारा दिया गया था।
डॉ. पटाडेविकासयादव , वैज्ञानिक 'सी' को 2015 में डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक पुरस्कारसे सम्मानित किया गया था।
डॉ. एच के पांडे, वैज्ञानिक “डी” को मेटकाफ हाउस, दिल्ली में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस- 2019 के दिन “पश्चिमी हिमालय की हर्बल जैव विविधता” पर व्याख्यान देने के लिए चुना गया था।
श्री धीरेंद्र पंत, एसएसए को 2010 में डीआरडीओ का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पुरस्कार, ल्यूकोडर्मा के उपचार में हर्बल उत्पाद के विकास के लिए 2005 में आत्म निर्भरता के लिए अग्नि पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
डॉ. नरेंद्र कुमार, निदेशक और टीम को 2003 में डॉ. वीके आत्रे , एसए टू आरएम के द्वारा प्रशंसा पत्र दिया गया था।
डॉ. नरेंद्र कुमार, निदेशक और टीम को 1998 में मालपा आपदा राहत में उनके कार्य की पहचान के लिए एपीजे अब्दुल कलाम , एसए टू आरएम के द्वारा प्रशंसा पत्र दिया गया।
श्री एम सी जोशी, निदेशक को 1984 में डीआरडीओ वर्ष के वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
श्री आकाश मिश्रा, एसआरएफ को 27-29 नवंबर, 2018 को एसएचयूएटीएस, इलाहाबाद में चिरस्थायी विकास (ईआईएईएएसएसडी-2018) के लिए कृषि, पर्यावरण और एप्लाइड साइंसेज में बढ़ रही समस्याओं के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में युवा सूक्ष्मजीव विज्ञानी पुरस्कार, 2018 प्राप्त हुआ।
श्री. दिनेश पाठक , एसआरएफ को राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में 1-4 नवंबर 2017 को आयोजित 'प्लांट हेल्थ फॉर ह्यूमन वेलफेयर' पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत पेपर के लिए सर्वोत्तम पोस्टर पुरस्कार (प्रथम पुरस्कार) प्राप्त हुआ।
श्री. दिनेश पाठक, एसआरएफ को नई दिल्ली में 23-27 फरवरी 2016 के दौरान आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 'प्लांट, पैथोजन और लोग: मानव जाति को लाभ पहुंचाने के लिए पौधों की पैथोलॉजी में चुनौतियां' में सर्वोत्तम पोस्टर पुरस्कार (द्वितीय पुरस्कार) प्राप्त हुआ।
सुश्री साधना सिंह, एसआरएफ ने 25-26 फरवरी, 2016 के दौरान जैव प्रौद्योगिकी, सतत कृषि और स्वास्थ्य (एएफबीएसएएच-2016) में अग्रिम मोर्चे पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त किया।
डॉ. अंकुर अग्रवाल, वैज्ञानिक 'ई' को 17-18 फरवरी 2018 को आयोजित 20वें इंडियन एग़्रिकल्चरल साइनंटिस्ट एवं फ़ार्मस सम्मेलन में तवांग के सीमा क्षेत्र में प्रोग्राम अरूणोदय के माध्यम से "किसान आय दोगुनी करने” और सैनिकों की पोषण सुरक्षा शीर्षक पेपर का सर्वोत्तम पेपर प्रस्तुतिकरण पुरस्कार प्राप्त हुआ।
श्रीमती वंदना पांडे, वैज्ञानिक 'डी', डॉ. अतुल्र ग्रोवर, वैज्ञानिक ‘सी’ और डॉ पी एस नेगी, वैज्ञानिक 'ई' को 21-22 फरवरी, 2015 के दौरान ‘एग्री इनोवेशन फॉर एन्हांसिंग प्रोडक्शन एवं रूरल एम्प्लॉयमेंट’ के संबंध में 17वें इंडियन एग़्रिकल्चरल साइनंटिस्ट एवं फ़ामर्स सम्मेलन में सम्मानित किया गया।