गैस टरबाइन रिसर्च सेंटर (जीटीआरई) की स्थापना 8 इंजीनियरों/वैज्ञानिकों और लगभग 20 तकनीशियनों के साथ 1959 में नं. 4 बीआरडी एयर फोर्स स्टेशन, कानपुर में हुई थी। 1961 में पहले 1000 किलो थ्रस्ट वाले पहले स्वदेश विकसित सेट्रीफ्यूगल किस्म के गैस टरबाइन इंजन का परीक्षण किया गया था। जीटीआरई को बेंगलुरु स्थानांतरित किया गया, और डीआरडीओ के बैनर तले लाने के बाद, नवंबर 1961 में नाम बदल कर गैस टरबाइन अनुसंधान स्थापना (जीटीआरई) किया गया।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत गैस टरबाइन अनुसंधान स्थापना एक अग्रणी अनुसंधान व विकास केन्द्र है। इस प्रतिष्ठान का मुख्य चार्टर गैस-टरबाइन उप-प्रणालियों के क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान कार्य करने के अलावा सैन्य अनुप्रयोगों के लिए गैस-टरबाइन इंजनों को डिज़ाइन व तैयार करना है। इसके अलावा, यह प्रतिष्ठान घटकों और बड़े पैमाने पर इंजन विकास के लिए अपेक्षित अभिकलनात्मक, प्रोटोटाइप निर्माण और परीक्षण सुविधाओं की स्थापना के लिए जिम्मेदार है। इस प्रतिष्ठान में एयरोनॉटिक्स, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर विज्ञान, मैटेरियल साइंस, व्यवहारिक गणित, आदि और समर्थन सेवाओं सहित विज्ञान और इंजीनियरिंग विद्याओं में दक्ष 845 से अधिक कर्मचारियों की एक मजबूत टीम है।
1960 का आरंभिक दशक
एचएएल के सहयोग से एचएफ-24 विमान के लिए एक प्रत्याशी ऊर्जा संयंत्र, आरडी-9एफ इंजन की री-इंजीनियरिंग का काम पूरा किया गया। ओर्फियस 703 इंजन के लिए 1700 के री-हीट प्रणाली का विकास किया गया।
1970 के दशक में अनुसंधान
दिसंबर 1973 में ओर्फियस 703 इंजन के लिए रीहीट की किस्म को हवा-योग्य प्रमाणित किया गया। इंजन अनुकूलन अध्ययन पर अनेक अनुसंधान परियोजनाएं पूर्ण की गई जिनमें से अधिकतर का संबंध ट्रांसॉनिक कम्प्रेसर, एनुअल कम्बस्टर्स, उच्च तापमान वाली टरबाइन, कैटलिटिक इग्निशन प्रणाली, नियंत्रण प्रणाली ,आदि जैसे उन्नत घटकों और प्रणालियों का विकास था।
1980 के दशक में विकास
जीटीआरई ने आगे बढ़ते हुए फ़्लैट रेटिंग कांसेप्ट वाले इंजनों की जीटीएक्स श्रृंखला का डिज़ाइन व विकास और उनका सफल प्रदर्शन किया।
ताज़ा घटनाक्रम
1989 में जीटीएक्स-35-वीएस के विकास के लिए आरंभिक मंजूरी दी गई और एयरो इंजन डेवलपमेंट बोर्ड की पहली बैठक में उसे कावेरी इंजन नाम दिया गया। इस कांसेप्ट को साबित करने के लिए तीन पूर्ण इंजनों तथा दो कोर इंजनों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
पुनःडिज़ाइन किए गए कम्प्रेसर के साथ, छह पूर्ण इंजनों और एक कोर इंजन का निर्माण कर हवा में उनका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया और प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया। नौसेना के लिए इस इंजन के समुद्री संस्करण की कल्पना की गई और नेवल डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम में पहले प्रोटोटाइप का सफल एकीकरण और परीक्षण किया गया।
009-10 में सेंटर इंस्टिट्यूट ऑफ़ एवियेशन मोटर्स (सीआईएएम) में 73 घंटे का हवाई परीक्षण किया गया और इंजन के प्रदर्शन और परिचालन का सत्यापन किया गया। रूस में आईएल-76 विमान में 57 घंटे का उड़ान परीक्षण पूरा किया गया जिसके अंतर्गत 2010-11 में 12 किमी और माक नं.0.7 तक की ऊंचाई को पूरा किया गया। अभी तक जमीन और हवा में लगभग 2900 घंटे का परीक्षण पूरा किया गया है।
जीटीआरई एक ISO 9001:2015 प्रमाणित प्रतिष्ठान है।