युद्धक विमान प्रणालियॉ एवं एकीकरण केन्द्र (सी ए एस डी आई सी) का मूलतः उन्नत प्रणाली एकीकरण और मूल्यांकन संगठन (एएसआईईओ) नाम से जाना जाता है, इसे अत्याधुनिक विमानिकी तकनीक की क्षमता के माध्यम से भारतीय वायु सेना की संचालन क्षमताएं बढ़ाने का लक्ष्य पाने के लिए एक परियोजना प्रयोगशाला के रूप में 1986 में बेंगलुरू में स्थापित किया गया था। तत्कालीन एएसआईईओ 1 जून 2001की प्रभावी तिथि से स्व जिम्मेदार संगठन के रूप में पूर्ण विकसित हो गया और डीएआरई के रूप में नया नाम दिया गया है।
डीएआरई ने दो प्रमुख क्षेत्रों, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) और मिशन वैमानिकी में विशेषज्ञता विकसित की है। डीएआरई उन युद्धक विमानों और मिशन वैमानिकी प्रणालियों के लिए रडार वार्नर्स, ईड्ब्ल्यू सुएट्स के डिजाइन और विकास का प्रमुख संगठन है, जो इनके अस्तित्व और लक्ष्य का प्रभाव बढ़ाने के लिए अनिवार्य हैं। डीएआरई एयरबोर्न इलेक्ट्रॉनिक समर्थन (ईएस), इलेक्ट्रॉनिक हमले (ईए) और मिशन वैमानिकी के क्षेत्र में अनुसंधान, विकास, परीक्षण और एकीकरण करने के लिए प्रतिबद्ध है।