रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अंतर्गत वर्ष 1958 में स्थापित आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना के पचास वर्ष पूरे गए हैं।
आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना का कार्य आयुद्ध के महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्म निर्भरता के पोषित लक्ष्य को प्राप्त करके एआरडीओ को सौंपना था। किरकी स्थित आयुध कारखाने के परिसर में एआरडीई ने अल्पविकसित सुविधाओं के साथ कार्य करना शुरू किया और इसमें तत्कालीन तकनीकी विकास संस्थान (शस्त्र) जबलपुर एवं तकनीकी विकास संस्थान (आयुध), किरकी से भूर्तपूर्व कार्मिक को काम पर लगाया गया। 1966 में, एआरडीई को पुणे शहर के बाहरी इलाके पेशान में स्थानांतरित किया गया, जहां पास में ही प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रसायन प्रयोगशाला भी मौजूद है जो कि सीएसआईआर की बहुत बड़ी प्रयोगशाला है। हम बहुत मजबूत विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्कृति एवं गैर-रक्षा क्षेत्र में आरएंडडी प्रयोगशालाओं/प्रतिष्ठानों, उच्च शैक्षणिक संस्थान, आरएंडडी केंद्रों की संबंधित इकाइयों, उद्योगों के लिए संसाधन प्रदान करने वाले शहर पुणे और मुंबई महानगर एवं उसके आस-पास में साथ स्थित होने पर वास्तव में बहुत ही भाग्यशाली हैं।
एआरडीई के विकास का इतिहास जो कि 40 वर्ष से अधिक पुराना है, वह हथियारों के निर्माण के क्षेत्र में "जानें - कैसे" एवं "जानें - क्यों" से "जानें - क्यों" तक पहुंच गई है। एआरडीई की क्षमता अनुसंधान, विकास, प्रोटोटाइप तैयार करना, परीक्षण एवं मूल्यांकन, तकनीकी गतिविधियों के आदान-प्रदान के साथ-साथ पारंपरिक आयुध प्रौद्योगिकी के जटिल बहु-अनुशासनात्मक युद्दक्षेत्र में महत्वपूर्ण सामानों के सीमित स्तर पर प्रायोगिक-संयंत्र का उत्पादन करना भी शामिल हैं।