नौसेना भौतिक एवं समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला का उदय वर्ष 1949 में हुआ जब भारत सरकार ने रायल नौसेना वैज्ञानिक सेवा, यू.के के डॉ.जे.ई.केस्टन को भारतीय नौसेना की सहायता के लिए एक वैज्ञानिक संगठन स्थापित किए जाने पर परामर्श देने के लिए आमंत्रित किया था।
तदुपरांत, वर्ष 1952 में भारतीय नौसेना भौतिक प्रयोगशाला (आईएनपीएल) की स्थापना हुई जो भारतीय नौसेना को वैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराने के एक इन-हाउस प्रयोगशाला थी। यह प्रयोगशाला कोच्ची स्थित नौसेना अड्डे के बैरक में स्थित थी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का जब वर्ष 1958 में गठन किया गया, आईएनपीएल को नए संगठन में समाहित कर लिया गया।
तत्पश्चात वर्ष 1969 में जब समुद्र विज्ञान ने प्रयोगशाला के अनुसंधान के विषयों में प्रमुख भूमिका ग्रहण कर ली तब आईएनपीएल को एक नया नाम नौसेना भौतिक एवं समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला (एनपीओएल) दिया गया। गत छः दशकों के दौरान एनपीओएल भारतीय नौसेना बेड़े की एक सहायक प्रयोगशाला से एक सोनार तंत्र विकासक के रूप में विकसित हो गई है। आज एनपीओएल भारतीय नौसेना के लिए सोनार अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्रों में अपनी उत्कृष्ट उपलब्धियों तथा योगदान के साथ अत्यंत गौरव के रूप में खड़ी हुई है।
1980 की पुरानी प्रणालियों को तार से लिपटे नमूनों द्वारा उत्पादन एजेंसी द्वारा जहाज पर परीक्षणों के लिए विकास एवं अभियांत्रिकी के प्रयोग द्वारा सुधारा गया। उसके बाद प्रयोगशाला का स्तरोन्नयन एक ऐसे प्रारूप में किया गया जहां एनपीओएल के डिजाइन तथा मूल रूप के आधार पर उत्पादन एजेंसी को सीधे आज्ञापत्र दिए जाते थे। वर्ष 2000 में औद्योगिक अवसंरचना के आगमन के साथ एनपीओएल ने उद्योगों के साथ-साथ चलने वाले एक अन्य नमूना तंत्र विकास को लागू किया।
इलेक्ट्रिकल-ध्वनिक ट्रांसड्यूसर्स की सर्विसिंग के लिए भारतीय नौसेना की एक फील्ड यूनिट के रूप में नौसेना भौतिक एवं समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला (एनपीओएल) की शुरुआत हुई। फिर धीरे-धीरे, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सर्विसिंग के बाद इसने समुद्री डेटा संग्रह और इसकी व्याख्या में स्तरोन्नयन किया।