डीआरडीओ मुख्यालय में कार्मिक निदेशालय मानव संसाधन क्लस्टर के निदेशालयों में से एक है जो डीआरडीओ कर्मचारियों के कार्मिक प्रबंधन, सेवाओं और प्रशासनिक मामलों के लिए उत्तरदायी है। डीओपी कार्मिकों/सेवाओं के सभी मामलों पर और सार्वजनिक सेवाओं की अखंडता को बनाए रखने के लिए नीतियां तैयार करता है।
निदेशालय के बारे में
स्थापना/प्रबंधन के क्षेत्र में भारत सरकार/डीआरडीओ की नीतियों को लागू करने में कार्मिक निदेशालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महत्वपूर्ण कारपोरेट निदेशालयों में से एक है और मुख्यालय की प्रयोगशालाओं/ संस्थाओं/ निदेशालयों में कार्य करने वाले सभी अधिकारियों के नियुक्त होने से लेकर सेवानिवृत्ति तक के कार्मिक सेवा मामलों और डीआरडीओ के कार्यक्रम / परियोजनाओं का ध्यान रखना। और अपनी विशाल भूमिका में, यह नीति को लागू करने वाले के रूप में कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित कुछ कतिपय स्वीकृत मानकों का भर्ती, सेवा शर्तों का विनियमन, पोस्टिंग / स्थानान्तरण, कर्मियों की प्रतिनियुक्ति और अन्य संबंधित मुद्दों में पालन किया जाए।
डीओपी, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं / संस्थापनों को कार्मिक प्रबंधन के मुद्दों पर तथा सेवा और आचरण नियमों जैसे मामलों में सलाह देता है। डीओपी नियमों, एसओपी की रूपरेखा बनाता है और बदलते समय को ध्यान में रखते हुए कुशल प्रशासन लाने के लिए संशोधन जारी करता है। डीओपी जवाबदेही लागू करने से संबंधित कार्यों के पर्यवेक्षण, निगरानी और समीक्षा के लिए भी उत्तरदायी है। निदेशालय दक्षता और जवाबदेही में सुधार करने के प्रयत्नों के अतिरिक्त, कर्मचारियों के कल्याण, संयुक्त परामर्शी तंत्र, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण, शारीरिक रूप से विकलांग और भूतपूर्व सैनिकों की भी देखभाल करता है। डीओपी डीजी, निदेशक, डीआरडीओ अध्यक्ष, फेलोशिप आदि के पदों पर नियुक्ति के मामलों को भी देखता है। {यह भारत सरकार के ई-गवर्नेंस कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी भी है जैसे एवीएमएस, एईबीएएस, सीपीजीआरएएमएस, एलआईएमबीएस और अनुभव]
डीआरडीओ मुख्यालय में कार्मिक निदेशालय पहला आईएसओ 9001:2000 प्रमाणित निदेशालय है। निदेशालय को अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक, प्रभावी ढंग से और समय पर पूरा करने के लिए आईएसओ 9001:2008 के साथ पुन: प्रमाणित किया गया है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कार्मिक निदेशालय कारपोरेट निदेशालयों के उन सबसे महत्वपूर्ण निदेशालयों में से एक है जिन्हें डीआरडीओ, डीओपी एंड टी और भारत सरकार की अन्य एजेंसियों द्वारा कार्मिक मामलों से संबंधित प्रसारित नीतियों और दिशा-निर्देशों का कार्यान्वयन सौंपा गया है। इसके कार्यों में डीआरडीओ के कर्मचारियों के प्रशासनिक और व्यक्तिगत मामले सम्मिलित हैं। 1960 के अंत में कार्मिक निदेशालय (डीओपी) को प्रशासन निदेशालय से बाहर किया गया था और 1972 में इसका गठन किया गया था।