डॉ के राधाकृष्ण
डॉ के राधाकृष्ण
निदेशक, निर्माण कार्य व संपदा निदेशालय (डीसीडब्लू एंड ई)

डॉ के राधाकृष्ण, वैज्ञानिक 'जी' ने डायरेक्टरेट ऑफ सिविल वर्क एंड एस्टेट के निदेशक (सिविल वर्क एंड एस्टेट) के पद का कार्यभार 01 अगस्त 2021 को सम्हाला।

उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर और आईआईटी मद्रास से ब्लास्ट रेजिस्टेंट स्ट्रक्चर के क्षेत्र में पीएचडी की है।

डॉ राधाकृष्ण वर्ष 1988 में सीसीई (आर एंड डी) हैदराबाद में वैज्ञानिक ‘बी’ के रूप में डीआरडीओ का हिस्सा बने थे। उनका पहला प्रोजेक्ट था आरसीआई हैदराबाद और उसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर कार्य किया जैसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी बैंगलोर और ऑर्डनेन्स फैक्ट्री इटारसी में आईजीएमडीपी प्रोजेक्ट। इसके उपरान्त, उन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में एसएफ कॉम्प्लेक्स जगदलपुर में जाने से पहले, इन प्रोजेक्ट्स के लिए बंगलुरु और मैसूर में रणनीतिक प्रोजेक्ट्स पर कार्य किया जिनमें इन प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि अधिग्रहण सम्मिलित थे।

उसके बाद उनकी नियुक्ति चीफ कंस्ट्रक्शन इंजीनियर (आर एंड डी दक्षिण सिकंदराबाद में हुई, जहां उन्होंने हैदराबाद, बैंगलोर, विशाखापत्तनम, बदामाफी और डुंडीगल में डीआरडीओ लैब्स के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को संभाला।

डॉ राधाकृष्ण ने अगस्त 2021 में निदेशक (सीडब्ल्यू एंड ई) के रूप में कार्यभार सम्हालने से पहले अप्रैल 2019 में चीफ कंस्ट्रक्शन इंजीनियर (आरएंडडी) सेन्ट्रल के रूप में तथा मार्च 2015 में चीफ कंस्ट्रक्शन इंजीनियर (आरएंडडी) साउथ के रूप में कार्य किया था।

चीफ कंस्ट्रक्शन इंजीनियर (आरएंडडी) साउथ और चीफ कंस्ट्रक्शन इंजीनियर (आरएंडडी) सेन्ट्रल में अपने कार्यकाल के रूप में उन्होंने कई रणनीतिक आधारभूत प्रोजेक्ट्स की योजना बनाई और निष्पादन किया जिनमें कड़ी आधारभूत संरचनाएं शामिल थीं। उन्होंने एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज चित्रदुर्ग, नेशनल ओपन-एयर रेंज कुरनूल, डुंडीगल में आरसीएस प्रोफाइलिंग के लिए ओपन रेंज, शिप-लिफ्ट फैसिलिटी, मल्टी पेटाफ्लॉप्स कंप्यूटिंग फैसिलिटी डीआरडीओ और नागयलंका में डीआरडीओ के लिए नई मिसाइल परीक्षण परिसर की योजना बनाई और उनका निष्पादन किया। उन्हें भूमि अधिग्रहण, रणनीतिक और गैर रणनीतिक रेंज परिसरों की योजना बनाने, डिजाइन निर्देश, निर्माण पद्धतियों, निविदा, अनुबंध प्रबंधन आदि में व्यापक अनुभव है।

डॉ राधाकृष्ण ने स्ट्रक्चर की ब्लास्ट रेजिस्टेंट डिजाइन में विशेषता प्राप्त की है। इस क्षेत्र में उनके प्रमुख कार्य रहे हैं स्टील और आरसीसी ब्लास्ट रेसिस्टेंट डोर्स के डिजाइन, निर्माण, परीक्षण, सत्यापन, स्वदेशीकरण और पेटेंटिंग करना। इन्होनें कड़े रणनीतिक परिसरों के लिए बड़े ब्लास्ट रेसिस्टेंट डोर्स की डिजाइन, निर्माण और स्थापना के लिए पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का प्रयोग करने में और विकास करने में महत्वपूर्ण कार्य किया है।

उन्होंने बैंगलोर में सीएबीएस के लिए ए320 हैंगर बिल्डिंग के लिए प्री-इंजीनियर किये गए और पहले से कास्ट किये गए कंक्रीट निर्माण का उपयोग करते हुए डीआरडीओ में पहली बार फास्ट कंस्ट्रक्शन तकनीक प्रस्तुत की है। यह बिल्डिंग 85 मीटर चौड़ी, 18 मीटर ऊंची और 81 मीटर ऊंचा और 81 मीटर लंबी है।

उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं, संगोष्ठियों और सम्मेलनों में कई वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए हैं।

डॉ राधाकृष्ण ने कई महत्वपूर्ण पद पर कार्य किया है जिनमें शामिल हैं एनलिस्टमेंट कमिटी, रणनीतिक प्रोजेक्ट्स के लिए विशेष मदों के मूल्य विश्लेषण के लिए कमिटी, डीआरडीओ और अर्थ साइंस मंत्रालय के लिए मूल्यांकन बोर्ड, अर्थ साइंस मंत्रालय के चयन बोर्ड के अध्यक्ष के पद।

उन्हें वर्ष 2016 में सर्वश्रेष्ठ तकनीकी प्रबंधकीय सेवाओं के लिए डीआरडीओ पुरस्कार, 2016 में इंजीनियरिंग में उपलब्धि और महत्वपूर्ण योगदान की सराहना के लिए दयानंद सागर इंस्टीट्यूशन सम्मान और कठिन और खतरनाक क्षेत्रों में अत्यधिक विशिष्ट कार्यों की योजना, बनाने, डिजाइन करने और निष्पादन में उनके काम के लिए रणनीतिक योगदान के लिए डीआरडीओ विशेष पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

वह अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स, फेलो ऑफ इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) और इंडियन रोड कांग्रेस के आजीवन सदस्य हैं।

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