रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना जीवन-विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम करने वाली डीआरडीओ की एक महत्वपूर्ण प्रयोगशाला है। इसकी मुख्य क्षमता निम्नलिखित क्षेत्रों में है:
खतरनाक पदार्थों और सूक्ष्म जीवों के लिए उत्कृष्टता का केंद्र बनना
खतरनाक पदार्थों और सूक्ष्म जीवों के विरूद्ध कला और सुरक्षा प्रौद्योगिकों की स्थिति का पता लगाने की रुपरेखा तैयार करना और उसे विकसित करना।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डी.आर.डी.ई.) की नींव वर्ष 1924 में उस समय पड़ी जब तत्कालीन ग्वालियर राज्य के महाराजा ने वन्य उत्पादों एवं खनिज स्रोतों की खोज हेतु प्रयोगशाला की स्थापना की। इस प्रयोगशाला का उदघाटन वर्ष 1947 में भारत के गवर्नर जनरल ने किया था। वर्ष 1966 तक इसे जीवाजी औद्योगिक प्रयोगशाला के नाम से जाना जाता था।