बेहतरीन, अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों सहित सेवाओं को पूरा करना, वास्तव में, तब तक अपने भावी उद्देश्य को प्राप्त नहीं करता है जब तक कि सशस्त्र सेना के अभिन्न मानव घटक को, जीवन समर्थित प्रणालियों सहित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और पोषण के संबंध में तथा सभी बोधगम्य सामरिक खतरों से सुरक्षा प्रदान करते हुए, अनुकूलित नहीं किया जाता है। इसी अति विशिष्ट संदर्भ में, डीआरडीओ की जीवन विज्ञान (एलएस) क्लस्टर से संबंधित प्रयोगशालाओं का एक समूह अपने अनुसंधान एवं विकास के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
सशस्त्र बलों में विभिन्न प्रकार की नौकरियों के लिए अधिकारियों और जवानों के चयन से आरंभ करते हुए, भारतीय आहार संबंधी आदतों एवं परिचालनात्मक आवश्यकतानुरूप ताजे और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के प्रावधान के साथ अनुकूलित राशन सीमा, कठोर इलाकों हेतु जलवायु-अनुकूलन कार्यक्रम के विकास, प्रतिकूल एवं चुनौतीपूर्ण स्थितियों में विशेष सुरक्षात्मक कपड़े, बायोमेडिकल उपकरण एवं सुरक्षात्मक गियर, जीवन समर्थित प्रणालियों, रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल एवं परमाणु (सीबीआरएन) खतरों पर काबू पाने में जवाबी हमलों की रणनीतियों को बढ़ावा देना। सीबीआरएन घटनाओं का पता लगाने, संरक्षण, परिशोधन और चिकित्सा प्रबंधन करने के अलावा, प्रदर्शन इत्यादि को बढ़ाने के लिए तनाव, वैकल्पिक प्रणालियों / रणनीतियों का डटकर सामना करने के प्रति मनो-सामाजिक-व्यवहार से संबंधी पद्धतियों का विकास करने में वर्षों से इन प्रयोगशालाओं का योगदान रहा है।
पिछले पांच दशकों में, जीवन विज्ञान क्लस्टर प्रयोगशालाओं के प्रयासों ने निम्न में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
जीवन विज्ञान में रूपांतरण अनुसंधान के माध्यम से हथियार के पीछे के व्यक्ति के प्रदर्शन के इष्टमीकरण और भलाई में अग्रणी बनना