दुर्लभ अर्थ स्थायी चुंबक (आरईपीएम) में ऊर्जा का अधिक घनत्व और प्रदर्शन स्थिरता होती है, जिसके परिणामस्वरुप उनके पास रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और चिकित्सा डायग्नोसिस जैसे उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में बहुत संभावनाएं होती हैं। डीएमआरएल ने उच्च ऊर्जा उत्पाद (18-35 MGOe) के साथ SmCo5 और Nd-Fe-B के चुंबकीय घटकों के लिए प्रौद्योगिकी विकसित की है, और उपकरण को लघु रूप देना सक्षम हुआ है। प्रौद्योगिकी में चुंबकीय क्षेत्र में पाउडर को सघन किया जाना सम्मिलित है जिसके बाद वैक्यूम / अक्रिय वातावरण में सिंटरिंग/एनीलिंग की क्रिया की जाती है। डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाएं (डीआरडीएल, आरसीएल, आरसीआई, एसएसपीएल, एमटीआरडीसी, एनपीओएल, एनएसटीएल, सीवीआरडीई), इसरो (वीएसएससी और एलपीएससी) और डीएई (बीएआरसी और आईजीसीएआर) सामरिक अनुप्रयोगों के लिए डीएमआरएल में विकसित चुम्बक का प्रयोग कर चुकी हैं। इस प्रौद्योगिकी की भारत में दुर्लभ धरातलीय खनिजों के प्रचुर भंडार को देखते हुए बहुत बड़ी संभावना हैं।
अनुप्रयोगों के अन्य क्षेत्र हैं बीम/किरण नियंत्रण (यात्रा तरंग ट्यूब, मैग्नेट्रोन), जड़त्वीय नेविगेशन (जाइरोस्कोप, एक्सेलेरोमीटर, इंस्ट्रूमेंटेशन), विद्युत-यांत्रिकीय उपकरण (एक्ट्यूएटर्स, आरएफ स्विच) और स्थायी चुंबक अल्टरनेटर, ब्रशलेस मोटर्स, हाई स्पीड रोटर आदि।