पहले इसका नाम राष्ट्रीय रासायनिक व धातु प्रयोगशाला (एनसीएमएल) हुआ करता था। इस प्रयोगशाला की स्थापना 5 जनवरी 1953 को बम्बई के नौसैनिक डॉकयार्ड में 6000 वर्ग फीट के एक छोटे से कार्यशाला में की गई। इसकी स्थापना भारतीय नौसेना को उसकी दैनन्दिनी रखरखाव की समस्याओं में वैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई। इसके पश्चात जलगत संक्षारण-विरोधी तथा जलपोत-दूषण-विरोधी पेंट और ऋणाग्रीय (कैथोडिक) संरक्षण के क्षेत्र में अनुसन्धान एवं विकास के माध्यम से अनेक प्रोद्योगिकियां विकसित की गईं, जो गुणवत्ता में पाश्चात्य देशों के तुल्य हैं और जिन्हें भारतीय नौसेना ने अपनाया।
भारतीय नौसेना के साथ निरन्तर कार्यगत आदान-प्रदान के चलते सन् सत्तर के दशक में इस प्रयोगशाला के कार्यक्षेत्र का विस्तार हुआ। 1995 में राष्ट्रीय रासायनिक व धातु प्रयोगशाला का नाम बदलकर नौसैनिक सामग्री अनुसन्धान प्रयोगशाला (एनएमआरएल) रखा गया और 1997 में इसका नौसैनिक डॉकयार्ड से अम्बरनाथ में स्थानान्तरण किया गया।
इसी प्रकार, उच्च क्षमता ईंधन सेल, विशिष्ट पॉलिमर, धातुओं व सेरैमिकों, उन्नत संरक्षण प्रौद्योगिकियों, पर्यावरणीय नियन्त्रण के रासायनिक व जैविक उपायों आदि क्षेत्रों में अनुसन्धान एवं विकास की गतिविधियों में नब्बे के दशक के उत्तरार्ध में गोचर वृद्धि दर्ज हुई। इन कार्यक्षेत्रों में अच्छे कार्यप्रदर्शन के कारण रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संस्थान ने इस प्रयोगशाला के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए स्वीकृति प्रदान की, जिससे अम्बरनाथ में 60 एकड़ के पूर्ण सुविधा-सम्पन्न तकनीकी-आवासीय परिसर का निर्माण हुआ। समुद्री पर्यावरण के लिए उपयुक्त सामग्री और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में एनएमआरएल पिछले 6 दशकों से काम कर रहा है।