माइक्रोवेव ट्यूब के क्षेत्र में एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र के रूप में उभरने की दृष्टि के साथ, सूक्ष्मतरंग नलिका अनुसंधान एवं विकास केंद्र (एमटीआरडीसी) को 1984 में स्थापित किया गया था। वर्ष 1984 में सेंटर फॉर एरोनॉटिकल सिस्टम स्टडीज एंड एनालिसिस (सीएएसएसए), एडीआई कॉम्प्लेक्स, बैंगलोर में एक छोटे से कमरे से लेकर वर्ष 1985 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), बैंगलोर के परिसर में एक छोटे से आवास तक, एमटीआरडीसी ने वर्ष 1992 में बीईएल कॉम्प्लेक्स के भीतर अपना तकनीकी भवन प्राप्त किया। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स की माइक्रोवेव ट्यूब डिवीजन से निकटता, रक्षा सेवाओं की रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) प्रणाली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकियों और उत्पादों के समवर्ती विकास हेतु अनुसंधान एवं विकास तथा उत्पादन टीमों के बीच निरंतर संपर्क की सुविधा देती है। वर्ष 2011 में, एमटीआरडीसी के तकनीकी आवास में जेसी बोस माइक्रोवेव ट्यूब सुविधा जोड़ी गई। प्रयोगशाला के विस्तार के लिए, बीईएल से 2 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है और भवन निर्माण का कार्य शुरू किया गया है जिसके लिए 07 मई 2016 को सचिव और महानिदेशक,, आरडीओ द्वारा आधारशिला रखी गई है।
आरंभिक अवस्था में, रडार और ईसीएम प्रणालियों के लिए ट्रैवलिंग वेव ट्यूबों (टीडब्लूटी) को डिजाइन करने की चुनौतियों का सामना करने हेतु एक मजबूत डिजाइन क्षमता स्थापित करने के लिए कंप्यूटर-एडेड-डिज़ाइन (सीएडी) पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके बाद, माइक्रोवेव ट्यूब इंजीनियरिंग के विभिन्न पहलुओं में महारत हासिल है। एमटीआरडीसी के पास अब उत्कृष्ट समर्पित सुविधाएं हैं और कई विशिष्ट क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के टीडब्ल्यूटीज, इलेक्ट्रॉनिक पावर कंडीशनर (ईपीसी), माइक्रोवेव पावर मॉड्यूल (एमपीएम) और ट्रांसमीटरों के डिजाइन और विकास के लिए मुख्य क्षमता है।