रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) डीआरडीओ में अपनी तरह का एकमात्र प्रतिष्ठान है जो सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक भूभाग बुद्धिमत्तापूर्ण समाधान प्रदान करता है। डीजीआरई का मुख्यालय चंडीगढ़ में है और यह दो प्रमुख डीआरडीओ प्रयोगशालाओं जैसे स्नो एंड एवलांच स्टडी इस्टैब्लिशमेंट (एसएएसई) चंडीगढ़ और डिफेंस टेरेन रिसर्च लेबोरेटरी (डीटीआरएल) दिल्ली को मिलाकर बनाया गया एक नया प्रतिष्ठान है। डीआरडीओ के आयुध और लड़ाकू इंजीनियरिंग क्लस्टर के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत डीजीआरई के को 15 नवंबर 2020 को बनाया गया।
डीजीआरई के पांच अनुसंधान एवं विकास केंद्र (आरडीसी) हैं जो मनाली (हिमाचल प्रदेश), दिल्ली, तेजपुर (असम), तवांग (अरुणाचल प्रदेश) और लाचुंग (सिक्किम) में हैं। इसके तीन माउंटेन मेट्रोलॉजिकल सेंटर्स (एमएमसी) भी हैं जो श्रीनगर (जे एंड के), औली (उत्तराखंड) और ससोमा (लद्दाख यूटी) में हैं।
नए प्रतिष्ठान डीजीआरई का दृष्टिकोण "भूभाग और हिमस्खलन पर ध्यान देने के साथ युद्ध प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास में अग्रणी बनना" है। प्रतिष्ठान की भूमिका और चार्टर भारतीय हिमालय में भूस्खलन और हिमस्खलन का मानचित्रण, पूर्वानुमान, निगरानी, नियंत्रण और न्यूनीकरण है।
रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) के पास दुर्गम भूभागों में सैनिकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने और भूभाग के मूल्यांकन की आधुनिक तकनीकों के आधार पर विभिन्न प्रकार के भूभागों की सैन्य क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने का अधिकार है।