उत्कृष्ट वैज्ञानिक, श्री अतुल दिनकर राणे, को 20 दिसंबर 2021 से डीआरडीओ (DRDO), ब्रह्मोस (BrahMos) के महानिदेशक, के रूप में नियुक्त किया गया है।
श्री अतुल राणे को रक्षा अनुप्रयोगों के लिए मिशन क्रिटिकल ऑनबोर्ड कंप्यूटर (ओबीसी), हार्डवेयर इन लूप सिमुलेशन स्टडीज, सिस्टम एनालाइसिस, मिशन सॉफ्टवेयर एवं एवियोनिक्स टेक्नोलॉजी के विकास में दशकों के निरंतर अनुसंधान एवं विकास में योगदान के लिए जाना जाता है। उनका अग्रणी योगदान और तकनीकी-प्रबंधकीय नेतृत्व सफल विकास व सशस्त्र बलों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को शामिल करने के लिए परिवर्तनकारी रहा है।
उन्होंने चेन्नई के गिंडी इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और पूना विश्वविद्यालय से निर्देशित मिसाइलों में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। वह वर्ष 1987 में डीआरडीओ (DRDO) में शामिल हुए और सिस्टम मैनेजर के रूप में रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) में अपना प्रारंभिक करियर शुरू किया। साथ ही स्वदेशी रूप से विकसित सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल प्रणाली के लिए मॉड्यूलर रीयल-टाइम सिमुलेशन परीक्षण तंत्र स्थापित किया। बाद में ऑनबोर्ड कंप्यूटर डिवीजन, अनुसंधान केन्द्र इमारत (आरसीआई) के हिस्से के रूप में, उन्होंने अग्नि- I मिसाइल के लिए ऑनबोर्ड मिशन सॉफ्टवेयर के विकास का नेतृत्व किया और विभिन्न मिसाइल परियोजनाओं के लिए ऑनबोर्ड सिस्टम के निर्बाध परीक्षण एवं मूल्यांकन के लिए एक अद्वितीय एकीकृत टेस्ट बेड सुविधा भी स्थापित की।
वह रूस के साथ एक संयुक्त उद्यम के रूप में शुरूआत से ही ब्रह्मोस (BrahMos) एयरोस्पेस की कोर टीम के सदस्य थे। प्रोग्राम मैनेजर, एवियोनिक्स एंड सिस्टम इंटीग्रेशन फॉर प्रोग्राम पीजे-10 के रूप में उनके महत्वपूर्ण योगदान ने डीआरडीओ (DRDO) ऑनबोर्ड सिस्टम के व्यवहार्यता अध्ययन, वैचारिक डिजाइन, योजना, विकास, परीक्षण, एकीकरण और प्रमाणन को आगे बढ़ाया, जो ब्रह्मोस (BrahMos) के सफल प्रदर्शन, प्रेरण और बाद के उत्पादन में परिणत हुआ। यह एक दुर्जेय हथियार प्रणाली के साथ हमारे सशस्त्र बलों के शस्त्रागार को मजबूत करने वाली दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली है।
मॉस्को में भारतीय दूतावास के काउंसलर (रक्षा प्रौद्योगिकी) के रूप में उन्होंने भारत-रूसी तकनीकी सहयोग को आगे बढ़ाया और बाद में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के निदेशक के रूप में रक्षा अनुसंधान एवं विकास सहयोग, संयुक्त विकास को मजबूत किया और कई अंतर-सरकारी सहयोग के दौरान देश का प्रतिनिधित्व किया। रक्षा प्रौद्योगिकी प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आउटरीच प्रयासों में उनकी अपार विशेषज्ञता ने प्रौद्योगिकी अंतराल को पाटने, संयुक्त अनुसंधान के लिए भविष्य के क्षेत्रों की पहचान करने और डीआरडीओ (DRDO) विकसित उत्पादों के निर्यात पर जोर देने पर एक स्थायी छाप छोड़ी।
सिस्टम विश्लेषण और मॉडलिंग केंद्र के निदेशक के रूप में उन्होंने सिस्टम विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्नत हथियार प्रणालियों के विकास के लिए व्यापक व्यवहार्यता का अध्ययन किया। वर्तमान में दिल्ली में डीआरडीओ (DRDO) सुविधा के निदेशक के रूप में, वह राष्ट्र की रक्षा के लिए राष्ट्रीय महत्व की कई गतिविधियों का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके अनुसंधान एवं विकास योगदान, अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास परियोजना प्रबंधन में विशेषज्ञता और बहुमुखी तकनीकी प्रबंधकीय नेतृत्व क्षमताओं का महत्वपूर्ण मिसाइल प्रौद्योगिकियों के स्वदेशीकरण पर एक बड़ा प्रभाव पड़ा और देश में रक्षा निर्माण को बढ़ावा मिला।
उनके विशिष्ट योगदान के लिए, उन्हें प्रतिष्ठित डीआरडीओ (DRDO) पाथ ब्रेकिंग रिसर्च / उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी विकास पुरस्कार और डीआरडीओ (DRDO) प्रदर्शन उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया, सिस्टम्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया, सोसाइटी ऑफ़ एयरोस्पेस क्वालिटी एंड रिलायबिलिटी एंड कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया सहित कई पेशेवर सोसाइटी के सक्रिय सदस्य हैं। उनके नाम पर कई राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन और तकनीकी रिपोर्टें दर्ज हैं।