नागरिक चार्टर
रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग
भारत सरकार
विजन
देश को अत्याधुनिक स्वदेशी रक्षा और सुरक्षा प्रौद्योगिकियों तथा प्रणालियों के साथ सशक्त बनाना।
मिशन
- भूमि, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर के रक्षा और सुरक्षा डोमेन में अत्याधुनिक सेंसर, हथियार प्रणालियों, प्लेटफार्मों और संबद्ध उपकरणों को डिजाइन और विकसित करना।
- विभाग के अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से विकसित प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के उत्पादन और समावेश को सुगम बनाना।
- युद्ध की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए सेवाओं को तकनीकी समाधान प्रदान करना।
- सहयोग के माध्यम से भारतीय उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) संस्थानों और शिक्षा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास क्षमता को पोषित और सुदृढ़ करना।
- बुनियादी ढांचे और परीक्षण तथा मूल्यांकन सुविधाओं का विकास; डिजाइन प्रमाणन; कौशल विकास और मानव संसाधनों को मजबूत करना।
गतिविधियों/व्यवसाय का क्षेत्र
(a) अन्य देशों के अनुसंधान संगठनों और अंतर-सरकारी एजेंसियों के साथ संबंधों से संबंधित मामले, विशेष रूप से वे जो अन्य बातों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं से खुद संबंधित हैं।
(b) विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत विदेशी छात्रवृत्ति और भारतीय वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को प्रशिक्षण देने के लिए विश्वविद्यालयों, शैक्षिक और अनुसंधान-उन्मुख संस्थानों या विदेशों में कॉर्पोरेट निकायों के साथ व्यवस्था करना।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उभरते विकास के राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रभाव पर रक्षा मंत्री को सूचना, मूल्यांकन और सलाह देना।
- हथियारों; हथियार-मंचों; सैन्य अभियानों; निगरानी; संघर्ष के सभी संभावित क्षेत्रों में सहयोग और रसद के सभी वैज्ञानिक पहलुओं पर रक्षा मंत्री और तीनों सेवाओं और अंतर सेवा संगठनों को सलाह देना।
- प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण के सम्बन्ध में विदेशी सरकारों के साथ समझौते के साधनों से संबंधित सभी मामलों पर रक्षा मंत्रालय की नोडल समन्वय एजेंसी के रूप में विदेश मंत्रालय की सहमति से कार्य करना जिसका भारत को निर्यात विदेशी सरकारों के राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी नियंत्रणों का विषय है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्बंधित क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान और डिजाइन, विकास, परीक्षण और मूल्यांकन के कार्यक्रमों का निर्माण और निष्पादन करना।
- विभाग की एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, संस्थानों, रेंजों, सुविधाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं का निर्देशन और प्रबंधन करना।
- सैन्य वायुयानों, उनके उपकरणों और भंडारों के डिजाइन की वायु योग्यता के प्रमाणीकरण से संबंधित सभी मामले।
- विभाग की गतिविधियों से उत्पन्न प्रौद्योगिकी के संरक्षण और हस्तांतरण से संबंधित सभी मामले।
- रक्षा मंत्रालय द्वारा अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित सभी हथियार प्रणालियों और संबंधित प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण और मूल्यांकन की कार्यवाही में वैज्ञानिक विश्लेषण सहयोग और भागीदारी।
- उत्पादन इकाइयों और उद्यमों के निर्माण द्वारा प्रौद्योगिकी के आयात के तकनीकी और बौद्धिक संपदा पहलुओं पर सलाह देना या सशस्त्र सेवाओं के लिए निर्माण, उपकरण और भण्डारण का प्रस्ताव देना।
- पेटेंट अधिनियम, 1970 (1970 का 39) की धारा 35 के तहत तैयार किए गए संदर्भ से निपटना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पहलुओं पर जन-शक्ति के अध्ययन और प्रशिक्षण के लिए व्यक्तियों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कॉर्पोरेट निकायों को आर्थिक और अन्य सामग्री सहायता प्रदान करना।
- विदेश मंत्रालय के परामर्श से, राष्ट्रीय सुरक्षा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका से जुड़े मामलों में अंतर्राष्ट्रीय संबंध, जिनमें शामिल हैं:
- कार्यों का निष्पादन एवं विभाग के बजट से डेबिट योग्य भूमि को खरीदना।
- विभाग के नियंत्र के अधीन कर्मचारियों से संबंधित सभी मामले।
- विभाग के बजट से डेबिट होने वाले सभी प्रकार के स्टोर, उपकरण और सेवाओं का अधिग्रहण।
- विभाग से संबंधित वित्तीय स्वीकृति।
- भारत सरकार के किसी अन्य मंत्रालय, विभाग, एजेंसी के साथ समझ या व्यवस्था के माध्यम से विभाग को सौंपा और स्वीकार किया गया कोई अन्य गतिविधि जिसकी गतिविधियों का राष्ट्रीय सुरक्षा के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं पर असर पड़ता है।
- स्वायत्त निकायों: वैमानिकी विकास एजेंसी।
हितधारक/ग्राहक
मुख्य रूप से निम्नलिखित एजेंसियों को अलग-अलग क्षेत्रों में रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के हितधारकों/ग्राहकों के रूप में जाना जाता है:
- रक्षा मंत्रालय
- विदेश मंत्रालय
- गृह मंत्रालय/अन्य मंत्रालय
- सशस्त्र बल
- अन्य सरकारी विभागों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के अनुसंधान एवं विकास केंद्र
- तटरक्षक बल
- शैक्षणिक संस्थान
- रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और औद्योगिक भागीदार/रक्षा उद्योग
- देश के नागरिक
हितधारकों/ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं का विवरण
हितधारकों/ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं को ऊपर दिए गए 'गतिविधियों/व्यवसाय का क्षेत्र' विषय में विस्तार से दिया गया है। इसका सारांश नीचे दिया गया है:-
- हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों का डिजाइन और विकास।
- हितधारकों को वैज्ञानिक/तकनीकी सहायता।
- भारतीय उद्योगों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना।
- विभिन्न डीआरडीओ विकसित उत्पादों का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण।
- उत्पादों के उन्नयन पर कार्य करना।
- डीआरडीओ, उद्योग और शिक्षा में इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के आदान-प्रदान को सुगम बनाना।
- रक्षा अनुप्रयोगों से संबंधित क्षेत्रों में शिक्षा द्वारा हरित क्षेत्र अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- सैनिकों की शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक सुरक्षा/सलामती
- जनोपयोगी सेवाओं के लिए स्पिन ऑफ तकनीक उपलब्ध कराना।
हितधारकों की शिकायतों/चिंताओं का निवारण
- विभाग का मुख्य व्यवसाय सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों, सेंसर और सक्षम प्रौद्योगिकियों के उत्पादन को डिजाइन, विकसित और सुविधा प्रदान करना है। विभाग हितधारकों को विभाग की गतिविधियों में विभिन्न मंचों के माध्यम से भाग लेने का अवसर प्रदान करता है और जरुरत के आधार पर ऐसे हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करता है जो विभाग के कामकाज पर सीधे और सक्रिय रूप से प्रभाव डालते हैं। सहयोगी समीक्षा समिति, निगरानी समितियां, शीर्ष बोर्ड, संयुक्त परियोजना निगरानी दल (जेपीएमटी), संचालन समितियां, तालमेल बैठकें और त्रैमासिक बातचीत बैठकें (क्यूआईएम) कुछ उदाहरण हैं।
- हितधारक अपनी रुचि की परियोजनाओं/कार्यक्रमों की निगरानी में निरंतर भाग लेते हैं। हितधारकों की सभी चिंताओं को संस्थागत तरीके से निष्पक्ष और समय पर संबोधित किया जाता है।
- सेवाओं के लिए सामान्य बातचीत हेतु, विभाग के मुख्यालय में डायरेक्टरेट ऑफ इंटरेक्शन विद सर्विसेज फॉर बिज़नेस (डीआईएसबी) है। अन्य सभी एजेंसियों के लिए विभाग का योजना एवं समन्वय निदेशालय पहला संपर्क बिंदु है। निदेशक योजना और समन्वय सिटीजन चार्टर के लिए पदेन नोडल अधिकारी हैं।
- डीआरडीओ को आरटीआई अधिनियम, 2005 की दूसरी अनुसूची में रखा गया है और भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से संबंधित जानकारी को छोड़कर धारा 24(1) के तहत जानकारी को प्रकट करने की छूट प्राप्त है।
हितधारकों से अपेक्षाएं
A. रक्षा मंत्रालय
- क्षमता विकास योजनाएँ बनाने में विभाग को शामिल करना।
- विभाग के साथ खतरे का आभास को साझा करना।
- आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए रक्षा प्रणालियों के स्वदेशीकरण को सक्षम करने वाली राष्ट्रीय नीति विकसित करना।
B. सशस्त्र बल
- विभाग के साथ खतरे का आभास और कार्य संबंधी आवश्यकता साझा करना।
- गुणात्मक आवश्यकताओं (क्यूआर) के निर्माण में विभाग को शामिल करना।
- स्वदेश में विकसित और आयात किए जाने वाले उत्पादों की अवधारणा से लेकर तैनाती तक विभाग को शामिल करना।
- परीक्षण और स्वीकृति परीक्षणों के दर्शन और कार्यप्रणाली को विभाग के साथ साझा करना।
- उपयोगकर्ता परीक्षणों और स्वीकृति परीक्षण के परिणामों को स्वतः और पारदर्शी रूप से साझा करना।
- विभाग के परामर्श से एकीकृत योजनाएँ तैयार करना।
- विकास परियोजनाओं/कार्यक्रमों में वित्तीय हितधारक बनना।
- परियोजना/कार्यक्रम टीमों के लिए उपयुक्त पृष्ठभूमि वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को नियुक्त करना।
C. उत्पादन भागीदार
- विभाग द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों का दीर्घकालिक सामरिक दृष्टिकोण विकसित करना।
- हित की विकासात्मक परियोजनाओं में वित्तीय हिस्सेदारी।
- विभाग द्वारा विकसित वस्तुओं के समवर्ती प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अवशोषण और उत्पादन के लिए संसाधनों का आवंटन करना।
- उत्पादों के उन्नयन पर कार्य करना।
- डीआरडीओ और उद्योग के बीच इंजीनियरों/वैज्ञानिकों के आदान-प्रदान को सुगम बनाना।
D. अन्य क्षेत्रों में आरएंडडी केंद्र
- विभाग द्वारा प्रौद्योगिकियों के लिए ऊष्मायन केंद्र के रूप में कार्य करना।
- विभाग द्वारा स्थापित प्रौद्योगिकियों पर वृद्धिशील आरएंडडी कार्य करना।
E. अकादमिक
- विभाग के हित के क्षेत्रों में प्रायोजित अनुसंधान करना।
- उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आरएंडडी को आगे बढ़ाने के लिए श्रेष्ठ केंद्रों का निर्माण करना।
विभाग की वेबसाइट : www.drdo.gov.in
विभाग के प्रमुख कर्मचारी
सचिव रक्षा विभाग (आरएंडडी) और अध्यक्ष डीआरडीओ,
डीआरडीओ भवन, नई दिल्ली-110011
फोन: 011-23011519>
फैक्स: 011-23018216
महानिदेशक (आरएंडएम),
डीआरडीओ भवन, नई दिल्ली-110011
फोन: 011-23011860
फैक्स: 011-23015395
सिटीजन चार्टर के लिए नोडल अधिकारी
निदेशक, योजना और समन्वय
डीआरडीओ भवन, नई दिल्ली-110011
फोन: 011-23016278
फैक्स: 011-23016174