श्री राजीव नारंग, वैज्ञानिक ‘एच’ एवं उत्कृष्ट वैज्ञानिक ने 1985 में रसायन अभियांन्त्रिकी एवं प्रौद्योगिकी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से रसायन अभियान्त्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा अरुण मोदी गोल्ड मैडल, यूनिवर्सिटी मैडल प्राप्त किया। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से 1994 में प्रोसेस इंजीनियरिंग एवं डिजाइन में एम.टेक की उपाधि प्राप्त की।
उन्होंने उच्च ऊर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल), पुणे में वैज्ञानिक ‘बी’ के पद पर 12 सितम्बर 1986 को डीआरडीओ में सेवा प्रारंभ की । एचईएमआरएल में अपनी 13 वर्ष की कार्य अवधि में उन्होंने आधुनिक डिमोलीशन उपकरण के लिए उच्च विस्फोटक भरण का विकास, एन्टी टैंक नाग मिसाइल, पृथ्वी मिसाइल युद्धशीर्ष (वारहैड), वाहनों के लिए चार्ज लाइन माइन क्लीयरिंग सिस्टम, एडवांस लिम्पैट माइन, हैवी डिस्ट्रक्शन चार्ज तथा चार्ज लिनियर कटिंग इत्यादि कार्यों में अपना उत्कृष्ट योगदान दिया। उन्होंने 1999 में सीफीस में कार्यभार ग्रहण किया तथा वे विभिन्न प्रोजक्ट में सम्मिलित रहे और विस्फोटक संग्रह तथा परिवहन समिति (एसटीईसी) विनियामक और परामर्शदाता गतिविधियों में सम्मिलित रहे । उनकी कुछ विशेष उपलब्धियां इस प्रकार हैं : इग्लू, यूआरपी, एचपीएम जैसे अत्याधुनिक विस्फोटक भण्डारण भवनों का विकास, आकाश तथा ब्रहमोस मिसाइलों, स्मर्च (SMERCH) तथा पिनाका रॉकेट जैसे विशेष आयुधों के भण्डारण के लिए डिजाइन अधिप्रमाणन (डिजाइन वैलिडेशन) तथा सुरक्षा पैरामीटरों, लो आर्डर डिटोनेशन द्वारा अनुपयोगी आयुधों का निपटान, तोप नोदकों (गन प्रोपेलेंट) के लिए मल्टी स्टैक परीक्षण तथा वृहद आकार के राकेट मोटर के लिए जोखिम क्षमता वर्गीकरण (हैजार्ड क्लासीफिकेशन) हेतु सुपर लार्ज स्केल गैप टेस्ट , लम्बी दूरी तक धरती से प्रहार करने वाली मिसाइल (LRSAM) तथा आकाश मिसाइलों के राकेट मोटर के नोदकों का टीएनटी समतुल्य निर्धारण, रक्षा स्थापनाओं में नए विस्फोटक भण्डारण भवनों/सुविधाओं की सुरक्षा अनापत्ति (क्लीयरेंस), सभी रक्षा स्थापनाएं जो विस्फोटकों का भण्डारण, हस्तन (हैण्डलिंग), प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) अथवा परिवहन करती हैं के लिए सुरक्षा विनियमों का निर्धारण (फार्मूलेशन), संशोधन तथा कार्यान्वयन, सेनाओं के आयुध डिपो के लिए मास्टर आयुध भण्डारण योजना का फार्मूलेशन । श्री नारंग के द्वारा 10 अनुसंधान पत्र (रिसर्च पेपर) तथा 34 तकनीकी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई हैं तथा इनके नाम पर एक पेटेन्ट है ।
इन्होंने विभिन्न अवार्ड भी प्राप्त किए हैं जिसमें से इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स द्वारा 1988 में स्टेट सेन्टर मैडल, 1996 तथा 1998 में डीआरडीओ टेक्नॉलाजी अवार्ड , 2008 और 2014 और 2016 में टेक्नॉलाजी ग्रुप अवार्ड प्रमुख हैं ।
श्री नारंग हाई एनर्जी मैटेरियल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एचईएमएसआई) के आजीवन सदस्य हैं तथा इंस्टिटयूट ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) और इंडियन इंस्टिटयूट ऑफ कैमिकल इंजीनियर्स के सह सदस्य भी हैं ।